Saturday, 5 October 2019

किसान भाइयों के लिए खुशखबरी!

हमें सभी को पता है की रसायनिक खादों के प्रयोग से हमारी जमीन प्रदूषित होती जा रही है और उत्पादन में कमी और लागत अधिक होती  जा रही है इसके लिए आप जैविक खादों का प्रयोग करें!जो जैविक खादों  आप स्वयं ही बना सकते हैं इसके लिए एक उदाहरण के तौर पर मैं आपको बता रहा हूं अमृत जल बनाने का तरीका
10 लीटर पानी
एक किलोग्राम देसी गाय का गोबर
50 ग्राम गुड
1 लीटर गोमूत्र
उपरोक्त दिए गए सभी को मिक्स कर लें चार-पांच दिन के लिए छोड़ दें! अब इसको छानकर 100 लीटर पानी में मिलाएं!
यदि आप केला की खेती कर रहे हैं तो छोटे पौधे में 1 लीटर उससे बड़े पौधे में 2 लीटर या उससे बड़े पौधे में 3 लीटर प्रति पौधे !
Humic acid or gibberellic acid
स्वयं बनाने के लिए संपर्क करें!
www.rnagritechnique.blogspot.com





Thursday, 3 October 2019

उन्नत किसान की उन्नत खेती






बढ़ेगा किसान तो बढ़ेगा हिंदुस्तान!

हमारी सदैव यह सोच रही है कि बढ़ेगा किसान तो बढ़ेगा हिंदुस्तान यही सोच भाई अप्रोच हमारी प्रेरणा का स्रोत है
  • उत्पादन
सही समय पर सही खाद की सही मात्रा का प्रयोग समय अनुसार सिंचाई बीमारी की रोकथाम इत्यादि करने पर! औसतन लगभग 30 से 35 किलोग्राम प्रति पौधे से प्राप्त होता है!

पौधे बुकिंग के लिए संपर्क करें मोबाइल नंबर 
95 6562 3022

1hect
Tota input 2 Lack expected
Output 10 Lack according to Rate 2019

Wednesday, 2 October 2019

बढ़ेगा किसान तो बढ़ेगा हिंदुस्तान

टिशू कल्चर केले की खेती वैज्ञानिक विधि अपनाएं अधिक लाभ कमाएं ,
केले की खेती संपूर्ण भारत में निरंतर बढ़ती जा रही है इसका कारण केले की खपत में वृद्धि के साथ-साथ किसानों को केले की खेती से अन्य फसलों की तुलना में कई गुना अधिक लाभ और यह संभव हो पाया टिशु कल्चर से तैयार केले के पौधे खेती के कारण
1:जलवायु!
केला की अच्छी पैदावार एवं बड़वार के लिए 18 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं 65 से 70% नमी आद्रता का वातावरण अधिक उपयुक्त होता है 12 डिग्री सेल्सियस से कम या 38 डिग्री सेल्सियस तापमान अधिक होने पर केले की बड़वार वा स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है!
2:भूमि का चयन एवं खेत की तैयारी!
मजबूत उपजाऊ खेत में केले की खेती करना सर्वाधिक उपयुक्त होता है !जो कार्बनिक पदार्थों से युक्त दोमट बलुई दोमट भुरभुरी काली मिट्टी वाले समतल खेत जिसमें समुचित जल की निकासी हो पानी इकट्ठा ना होता हो नमी को रोकने की क्षमता हो तथा मिट्टी का पीएच 6.8-7.5 (अधिक क्षारीय उसर बंजर ना हो) ऐसी मिट्टी के खेत का चयन करें!
*महत्वपूर्ण!
मिट्टी की जांच अवश्य कराएं इससे अनावश्यक खादों का  प्रयोग कम होगा फलकता आपको अधिक लाभ होगा
3:केला पौधरोपण का समय!
अति ठंडा गर्म महीना को छोड़कर केले की रोपाई पूरे वर्ष कभी भी की जा सकती है सामान्यता उत्तर भारत में प्रथम बारिश के पश्चात 20 जून से 30 जुलाई के मध्य का समय सबसे उपयुक्त होता है!
4:रोपड़ की विधि!
पौधे एवं लाइन से लाइन की दूरी केले की प्रजाति पर निर्भर करती है हमारे अनुभव के अनुसार 6*6 खेत के अंतर पर गड्ढों में रुकना सर्वोत्तम है इस तरह 1 एकड़ में लगभग 1250 पौधे रखते हैं!
5-सर्वप्रथम 6*6 फिट पर 1*1*1 फुट का गड्ढा बना ले!
6-प्रत्येक गड्ढे में 5 से 6 किलो सड़ी गोबर की खाद एवं 10 से 15 ग्राम फोरेट कीटनाशक मिलाएं!
7-टिश्यू कल्चर पौधे को थेली (पॉलिथीन)से अलग करें गड्ढों बीचो बीच में रखकर इसी मिट्टी और खाद से ढक दें!
7-रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें! केले के पौधे के जड़ क्षेत्र में हमेशा नमी बनी रहनी चाहिए परंतु 24 घंटे से अधिक पानी रुकना नहीं चाहिए!ठंडक में 8 से 10 दिन के अंतर पर व गर्मियों में 4 से 5 दिन के अंतर पर हल्की सिंचाई करते रहे! बरसात में जल की निकासी की व्यवस्था कीजिए  अन्यथा जड़ या तना सड़क की बीमारी हो सकती है!

@#£&-केले के पौधों की बुकिंग और जानकारी के लिए कृपया इस नंबर पर संपर्क करें 9565623022


RNAgritechnique

Banana tissue culture

Cultivation of banana tissue plants to get more information cantact me, Know booking is start